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विवाह पंचमी

सिय रघुबीर बिबाहु जे सप्रेम गावहि सुनहि!
तिन्ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु!!
मंगलमय भगवान श्री सितारामविवाह श्री चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी के राज महल श्री अयोध्या जी में आदि काल से लगभग सम्बत 1775 से चली आ रही है प्रत्येक वर्ष अगहन माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है।

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भगवद गीता

इस जीवन में सफलता को पाने के लिए कर्म ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है। भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण प्रभु नें कर्म जे जुड़ीं कुछ ऐसे अनमोल विचार और वचन को संसार के समक्ष रखा है, जो अगर मनुष्य अपने जीवन में अमल करे तो इस दुनिया की कोई शक्ति उसे किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं कर सकती।

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श्रीमद भागवत कथा

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है।

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सत्संग व कथा

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। ब'चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते।

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श्रीमद्भगवद्गीता

श्रीमद्भगवद्गीता हमारे प्राचीन भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। शब्दभगवद(Bhagavad) का मतलब है भगवान और गीता(Gita) का गीत यानि की भगवन का गाया हुआ गीत। भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के समय कुरुक्षेत्र में भगवद गीता को अर्जुन के सामने समझाया था। भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्यायों के भीतर निहित है जो की 3 बर्गों में विभाजित है, प्रत्येक में 6 अध्याय हैं।

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