'ऊं भूर्भुव: स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो न: प्रचोदयात्।। '
को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। इस मंत्र का अर्थ होता है कि 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
संपूर्ण गायत्री मंत्र
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ।
गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है।
आर्ष मान्यता के अनुसार गायत्री एक ओर विराट् विश्व और दूसरी ओर मानव जीवन, एक ओर देवतत्व और दूसरी ओर भूततत्त्व, एक ओर मन और दूसरी ओर प्राण, एक ओर ज्ञान और दूसरी ओर कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देती है।
सभी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये उनके अलग-अलग गायत्री मंत्र हैं। आइए जानते है कि वो मंत्र क्या है।
देवी गायत्री मंत्र -
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्
गणेश गायत्री मंत्र:-
ॐ एक्दंताये विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।
ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।
विष्णु गायत्री मंत्र:-
ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
रुद्र गायत्री मंत्र:-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि,
तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।
रुद्र गायत्री मंत्र:-
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि,
तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।।
दक्षिणामूर्ती गायत्री मंत्र:-
ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि,
तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।
हयग्रीव गायत्री मंत्र:-
ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि,
तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।
दुर्गा गायत्री मंत्र:-
ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि,
तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
दुर्गा गायत्री मंत्र:-
ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि,
तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।।
दुर्गा गायत्री मंत्र:-
ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि,
तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
सरस्वती गायत्री मंत्र:-
ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि,
तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र:-
ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।
शक्ति गायत्री मंत्र:-
ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि,
तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।
अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र:-
ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि,
तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।।
काली गायत्री मंत्र:-
ॐ कालिकायै च विद्महे, स्मशानवासिन्यै धीमहि,
तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।
नन्दिकेश्वरा गायत्री मंत्र:-
ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि,
तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।
गरुड़ गायत्री मन्त्र:-
ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि,
तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।।
हनुमान गायत्री मंत्र:-
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि,
तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।
हनुमान गायत्री मंत्र:-
ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि,
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।।
शण्मुख गायत्री मंत्र:-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि,
तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।।
ऐयप्पन गायत्री मंत्र:-
ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि,
तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।।
धनवन्त्री गायत्री मंत्र:-
ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि,
तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।
कृष्ण गायत्री मंत्र:-
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।
राधा गायत्री मंत्र:-
ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि,
तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।
राम गायत्री मंत्र:-
ॐ दशरताय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि,
तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।
सीता गायत्री मंत्र:-
ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि,
तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।
तुलसी गायत्री मंत्र:-
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि,
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् !
सूर्य गायत्री
आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।।
अन्नपूर्णा गायत्री
ओं भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि,
तन्नो पूर्णा प्रचोदयात् ।।
अग्नि गायत्री
ओं महा ज्वालाया विधमहे, अग्नि देवाय धीमहि, तन्नोअग्निप्रचोदयात्।।
ओं विश्वनाराय विधमहे, लालीलाय धीमहि,
तन्नो अग्नि प्रचोदयात् ।।
गरुड़ गायत्री
ओं तत्पुरुषाय विधमहे, सुवर्णा पक्षाया धीमहे,
तन्नो गरूडा प्रचोदयात् ।।
कुबेर गायत्री
ओं यक्षा राजाया विद्महे, वैशरावनाया धीमहि,
तन्नो कुबेराह प्रचोदयात् ।।
कामदेव गायत्री
ओं कामदेवाया विद्महे, पुष्पा बनाया धीमहि,
तन्नो अनंगहा प्रचोदयात् ।।
शक्ति गायत्री
ओं सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि,
तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।
38. नन्दिकेश्वरा गायत्री
ओं तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि,
तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।
39. धनवन्त्री गायत्री
ओं अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि,
तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।
40 शिरडी साइ गायत्री
ओं शिरडी वासाया विधमाहे, सच्चिदानन्द धीमहि,
तन्नो साइ प्रचोदयात् ।।