1. ओम् लक्ष्मी वं, श्री कमला धरं स्वाहा।
इस मंत्र की सिद्धि 1 लाख 20 हजार मंत्र जाप से होती है। इसका शुभारंभ वैशाख मास में स्वाती नक्षत्र में करें, तो उत्तम रहेगा। जाप के बाद हवन भी जरूर करें।
2. ओम् सचि्चदा एकी ब्रह्म हीं सचि्चदीक्रीं ब्रह्म
इस मंत्र के 1 लाख जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
3. ओम् ह्वीं ह्वीं ह्वीं श्रीं श्रीं श्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्थिरां स्थिरां ओं।
इसकी सिद्धि 110 मंत्र नित्य जपने से 41 दिनों में संपन्न होती है। माला मोती की और आसन काले मृग का होना चाहिए। साधना कांचनी वृक्ष के नीचे करनी चाहिए।
4. ओम् नमो ह्वीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं
श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिन्ता दूरं करोति स्वाहा।
प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर 1 माला (108 मंत्र) का नित्य जाप करें तो लक्ष्मी की सिद्धि होती है।
5. ओम् नमो पद्मावती पद्यनतने लक्ष्मीदायिनी वांछ भूत प्रेत
विन्ध्यवासिनी सर्व शत्रुसंहारिणीदुर्जन मोहिनी ऋद्धि सिद्धि
वृद्धि कुरू-कुरू स्वाहा। ओम् नम: क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नम:।
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधना के समय लाल वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। इसका शुभारंभ शनिवार या रविवार से कर सकते हैं। 108 बार नित्यप्रति जाप करें। इस साधना को 22 दिन तक निरंतर करना चाहिए। तभी लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है।
6. ओम् नमो पद्मावतीर पद्मनेत्र बज्र बज्रांकुश प्रत्यक्षं भवति।
इस मंत्र की सिद्धि के लिए लगातार 21 दिन तक साधना करनी होती है। साधना के समय मिट्टी का दीपक बनाकर जलाएं। जाप के लिए मिट्टी के मनकों की माला बनाएं और नित्यप्रति एक माला अर्थात 108 मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप किया जाए तो लक्ष्मी देवी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
7. ओम् नम: भगवते पद्मपद्मात्य ओम् पूर्वाय दक्षिणाय
पश्चिमाय उत्तराय अन्नपूर्ण स्थ सर्व जन वश्यं करोति स्वाहा।
प्रात:काल स्नानादि सभी कार्यो से निवृत्त होकर 108 मंत्र का जाप करें। इससे व्यापार की परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी और हानि के स्थान पर लाभ की दृष्टि होने लगेगी।
8. ओम् नम: भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य वरदायिनी
मम विकट संकटहारिणी मम मनोरथ पूरणी मम शोक विनाशिनी नम: पद्मावत्यै नम:।
इस मंत्र की सिद्धि करने के बाद मंत्र का प्रयोग किया जाए तो नौकरी या व्यापार की व्यवस्था हो जाती है। धूप दीप आदि से पूजन करके प्रात:काल, दोपहर और सांयकाल तीनों समय में एक-एक माला का मंत्र जाप करें।
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आचार्य रामशंकर दास अयोध्या जी