श्रीमद्भागवत कथा के मूल प्रवक्ता पंडित रामशंकर शास्त्री (भैयाजी) मूल रूप से उत्तरप्रदेश के ग्राम भगवानपुर पोस्ट चिलुआ जिला कुशीनगर के निवासी है ये अपने पिता जी के तीसरी सन्तान है इनका घर का नाम संदीप कुमार मिश्र है सन 2004 में 17 मई को यर श्री अयोध्या जी के दर्शन को गए लेकिन वही के हो कर् रहा लिए श्री चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी के राज महल बड़ा स्थान रामकोट के पूज्य श्री बिन्दुगाद्यचार्य श्री महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य जी के सानिध्य में आपने 28मई 2004 में गुरुमंत्र प्राप्त कर् अध्ययन शुरू किया
फिर वही आपको रामशंकर दास की नाम भी मिला
आगे आप श्रीगुरुदेव जी के संग संमपूर्ण भारत की यात्रा की तथा कथा की शुरुआत भी की आपके जीवन मे पूज्य श्री गुरुदेब भगवान की अनन्त कृपा रही बचपन मे ही शास्त्री जी हनुमान चालीसा बजरंग बाण आदि कंठस्थ कर् लिए थे इनकेबाबा पूज्य श्री शोभाकांत जी हमेसा कहते थे बेटा जीवन मे भगवान की कथा जरूर करना इन्ही की बचन को पूर्ण करने के लिए आज भारत मे धर्म प्रचार हेतु निकले है
यह श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी परीक्षित जी की सभा में शुकदेव जी ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया। ब्रह्मा जी ने सत्यलोक में तराजू बाँध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्तिपूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा।
श्रीमद्भगवद्गीता हमारे प्राचीन भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। शब्दभगवद(Bhagavad) का मतलब है भगवान और गीता(Gita) का गीत यानि की भगवन का गाया हुआ गीत।
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के समय कुरुक्षेत्र में भगवद गीता को अर्जुन के सामने समझाया था। भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्यायों के भीतर निहित है जो की 3 बर्गों में विभाजित है, प्रत्येक में 6 अध्याय हैं।
इस जीवन में सफलता को पाने के लिए कर्म ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है। भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण प्रभु नें कर्म जे जुड़ीं कुछ ऐसे अनमोल विचार और वचन को संसार के समक्ष रखा है, जो अगर मनुष्य अपने जीवन में अमल करे तो इस दुनिया की कोई शक्ति उसे किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं कर सकती।